परम पूज्य गणाचार्य विराग सागर जी महाराज की वात्सल्य वारिधि बाल ब्रह्मचारी शिष्य विशोक सागर महाराज ने कही यह बात

परम पूज्य गणाचार्य विराग सागर जी महाराज की वात्सल्य वारिधि बाल ब्रह्मचारी शिष्य विशोक सागर महाराज ने कही यह बात

परम पूज्य गणाचार्य विराग सागर जी महाराज की वात्सल्य वारिधि बाल ब्रह्मचारी शिष्य विशोक सागर महाराज ने कही यह बात

परम पूज्य गणाचार्य विराग सागर जी महाराज की वात्सल्य वारिधि बाल ब्रह्मचारी शिष्य विशोक सागर महाराज ने

श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर सोनीपत मैं परम पूज्य गणाचार्य विराग सागर जी महाराज की वात्सल्य वारिधि बाल ब्रह्मचारी शिष्य विशोक सागर महाराज ने कहा जीवन में दो चीज कभी नहीं भूलना चाहिए एक परमात्मा दूसरा मृत्यु यह दो चीज भूलने की योग्य नहीं है कपड़ा बिगड़ जाए तो कोई चिंता की बात नहीं भोजन का स्वाद बिगड़ जाए तब भी चिंता की कोई बात नहीं व्यापार बिगड़ जाए तब भी कोई फिक्र नहीं बेटा बिगड़ जाए तो भी घबराने जैसी बात नहीं लेकिन ध्यान रखना अपने मन को अपने दिल को मत बिगड़ दे देना क्योंकि इस दिल में तुम्हारा दिलबर परमात्मा रहता है इसलिए अपना दिल उस परमात्मा को दो फिर तुम्हें देखना कभी आपको दिल का दौरा नहीं पड़ेगा जो परमात्मा को पूजता है दर्शन करता है उस व्यक्ति को कभी दिल का दौरा नहीं पड़ता है इसलिए परमात्मा को कभी नहीं भूलना चाहिए दूसरा अपनी मृत्यु को भी नहीं भूलना चाहिए जाने किस व्यक्ति की किस समय  मृत्यु हो जाए कोई भरोसा नहीं आदमी के जीवन का कोई भरोसा नहीं होता है परंतु जैन धर्म में मृत्यु को महोत्सव की उपमा दी है।
सन्यास महामृत्यु है और महामृत्यु से ही महा जीवन का प्रादुर्भाव होता है अहंकार की मृत्यु ही आत्मा का जीवन है अहंकार की पर टूट जाए तो महा जीवन के बीच अंकुरित हो जाते हैं ।
नींद छोटी मृत्यु है और मृत्यु बड़ी नींद है हम रात को सोते हैं वह मृत्यु का पूर्वाभ्यास है नीद मे व्यक्ति बैर विरोध को भूल जाता है झगड़े कलह संघर्ष तभी तक होते हैं जब तक व्यक्ति की आंखें खुली रहती है आपकी मिचते ही सब विश्राम पा लेते हैं आंख मिचने का मतलब मूर्छा का टूटना है यह एक आंतरिक जागरण है।
बाल ब्रह्मचारी पुष्पेंद्र शास्त्री ने कहा अहकार एक आध्यात्मिक कैंसर है इसका उपचार णमोकार है अहंकार और णमोकार दो विपरीत दिशा में है भगवान महावीर ने कहा जहां णमोकार मंत्र होगा वहा अहंकार नहीं हो सकता णमोकार का उपासक अहंकारी नहीं होता है और यदि अहंकार जीवन पर हावी है तो समझना कि अभी हमने णमोकार को सही अर्थों में जिया ही नहीं है।